दरअसल यह बात अभी साढ़े 3 साल का है और काफी जोशीला है। इंसानों जैसे सिद्धांत ही कई बार जंगल के जानवरों पर भी लागू होते हैं। शोधकर्ता का कहना है कि हम मजबूत और जोशीला बाघ है। जिसने पहले अपने कुनबे पर अपना अधिकार दिखाने की कोशिश की। लेकिन इसके पिता ने इसे भगा दिया। शोधकर्ता कहते हैं कि इस बाघ की लड़ाई पहले अपने पिता से भी हो चुकी है।
भटक कर शहर की तरफ आ गया बाघ
प्रशासन के अनुसार या अपने पिता से लड़कर अपने कुनबे से अलग किया गया बाघ है। जो अब अपने लिए रहने की जगह तलाश रहा है। अपना क्षेत्र खुद से तैयार करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए यह छोटे-छोटे जानवरों को अपना निशाना बना रहा है। जो जंगल में अधिकार स्थापित करने का नैसर्गिक तरीका है। कानून के अनुसार वह अपना अधिकार क्षेत्र तैयार कर रहा है।
क्षेत्र तलाशने की कोशिश में कर रहा किलिंग
बाघों को समझने वाले शोधकर्ता यह बताते हैं कि अपने एरिया को सुनिश्चित करने के लिए हिंसक जीव छोटे जानवरों की किलिंग करते हैं। वो इसके लिए बंदर, कुत्ते, भेड़िया को निशाना बनाते हैं। ताकि उनकी मौजूदगी का एहसास अन्य जानवरों को हो। बाघों के संरक्षण और उनके स्वभाव को समझने वाले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ से जुड़े शोधकर्ता का कहना है कि इस बाघ ने जितने भी हमले किए हैं वह बैठे हुए और सोए हुए लोगों पर किए हैं। यह हमले पीछे से किए गए हैं।
अधिकारियों पर उठ रहे सवाल
बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले शोधकर्ता की माने तो वह कहते हैं कि बाघ को आदमखोर करार देकर मारने की वजह है, उन्हें जंगल की तरफ भगाने की व्यवस्था भी की गई है। यह काम वन्य अधिकारियों की तरफ से नहीं किया जा रहा है। अधिकारियों ने बाघ को घेर कर उसे जंगल की तरफ वापस भेजने में लगातार कोताही बरती है। जिसका नतीजा है कि बाघ अब उस क्षेत्र की तरफ बढ़ गया है जो घनी आबादी वाला है। अमूमन बाघ इंसानों पर हमला नहीं करते हैं। वह विशेष परिस्थितियों में ही इस तरह के कदम उठाते हैं। उनमें से एक ये हमला है, जब वो अपने जिंदा रहने के लिए जंगल तलाश रहा है।