कभी रॉयल बंगाल टाइगर के दहाड़ से गूंजता था PTR… एक बार फिर पदचिह्नों से 5 बाघों की मौजूदगी के मिले संकेत

रांची: वर्ष 1973 में स्थापित पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) कभी रॉयल बंगाल टाइगर के दहाड़ से गूंजता था। स्थापना के वक्त पीटीआर में बाघों की संख्या 45 से अधिक थी, लेकिन देश में बाघों की संख्या को लेकर 2017 में जारी रिपोर्ट में पीटीआर में बाघों की संख्या शून्य दर्शाया गया, परंतु स्कैट सैंपल जांच में इस जंगल में अब फिर से दो बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। जबकि पद्चिह्नों के आधार पर पीटीआर में पांच बाघों की मौजूदगी की संभावना जताई जा रही है।

पीटीआर के वन क्षेत्र पदाधिकारी डी. कुमार ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने स्कैट जांच में पलामू टाइगर रिजर्व में दो बाघों के होने की पुष्टि की है। जबकि पद्चिह्नों से पीटीआर में 5 बाघों के मौजूद रहने की उम्मीद है। इसे लेकर भी स्कैट के सैंंपल देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान को भेजा गया है। रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही इसकी पुष्टि हो पाएगी।

250हाथी, 100 तेंदुआ और 7000से अधिक हिरण समेत 1400 पशु-पक्षी
पीटीआर में बाघों की संख्या को लेकर भले ही सशंय हो, लेकिन क्षेत्र के वन पदाधिकारी इस बात की पुष्टि करते है कि इस रिजर्व क्षेत्र में करीब 250 हाथी, 100 तेंदुआ, 7000 से अधिक हिरण समेत 1400 प्रजातियों के पशु-पक्षियों का वास है। जंगल में सांप की भी कई खतरनाक प्रजातियां पाई जाती है।

तीन महीने तक टैंकर से वाटर टब में भरा जाता है पानी
पलामू रिजर्व एरिया में गर्मी के मौसम में पानी की कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में बेजुबान पशु-पक्षियों के समक्ष पेयजल संकट उत्पन्न नहीं हो, इसे लेकर गर्मी के मौसम में तीन महीने तक टैंकरों के माध्यम से वाटर टब में पानी भर कर छोड़ दिया जाता है। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से जगह-जगह छोटा वाटर टब रखा जाता है, जिसकी नियमित रूप से साफ-सफाई होती है।

300 कैमरों से रखी जाती है नजर
पीटीआर में जंगली जानवरों की गतिविधियों, उनकी संख्या का पता लगाने और उनके समक्ष आने वाली कठिनाईयों को दूर करने के लिए 300 कैमरे भी लगाए गए है। ये सारे कैमरे अलग-अलग इलाके में लगाये जाते है और समय-समय पर इनका लोकेशन भी बदला जाता है।
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बाघों की संख्या कम होते गई
1973 में स्थापना के वक्त 1026वर्ग किमी क्षेत्र में फैले पलामू टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 45 थी, लेकिन धीरे-धीरे बाघों की संख्या कम होती गई। 2005 की गणना के अनुसार यहां 38 बाघ थे, परंतु 2006 में घटकर 17, 2008 में 6, साल 2010 में 6, 2014 मंे 3 और वर्ष 2017 में संख्या शून्य हो गई।

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चीतल, चिंकारा, नीलगाय, हिरण, किंग कोबरा, बाइसन समेत कई प्रजातियां
पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य आकर्षणों में बाघ, हाथी, तेंदुआ, गौर, सांभर, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, हिरण, किंग कोबरा, बाइसन समेत विभिन्न प्रजातियों के साथ असंख्य जीव-जंतुओं को आसानी से देखा जा सकता है। रिजर्व क्षेत्र में रमनदाग, लट्टु और कुजुरूम जंगल के अलावा कई सुंदर झरने, पहाड़ी ढलान और पर्णपाती घास के साथ ही नेतरहाट जैसा आकर्षक पर्यटक स्थल भी मौजूद है।



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