2004-09 तक रेल मंत्री रहते नौकरी घोटाला?
क्या है Land for Jobs Scam मामला?
आरोप है कि साल 2004-2009 के बीच लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए लोगों को गलत तरीके से नौकरी दिलाई गई। नौकरी देने के एवज में लालू यादव ने गरीब लोगों से जमीन लिखवा लिए थे। जब लालू रेल मंत्री थे तब घोटाला हुआ था। दायर शिकायत पत्र में कहा गया है कि लालू यादव ने नौकरी के बदले प्राइम लोकेशन पर जमीन ली थी। लालू यादव जब रेल मंत्री थे तब इस तरह की बातें चर्चा में आई थी कि लालू परिवार के सदस्य जमीन लेकर रेलवे में बड़े पैमाने पर नौकरी दे रहे हैं। इस बात की शिकायत सीबीआई तक भी पहुंची थी। इसे मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है।
लैंड फॉर जॉब मामले में CBI के सबूत
सीबीआई ने शुरुआती जांच में पाया था कि फरवरी 2008 को पटना के रहने वाले किशुन देव राव ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम पर की थी। ये जमीन 3.75 लाख रुपये में बेची गई। उसी साल राव के परिवार के तीन सदस्यों राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मुंबई में ग्रुप डी में भर्ती किया गया।
नवंबर 2007 में पटना की रहने वालीं किरण देवी ने अपनी 80,905 वर्ग फीटी की जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर कर दी। ये सौदा 3.70 लाख रुपये में हुआ। बाद में उनके बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया
मार्च 2008 में ब्रज नंदन राय ने 3,375 वर्ग फीट जमीन गोपालगंज के रहने वाले ह्रदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपये में बेच दी। ह्रदयानंद चौधरी को 2005 में हाजीपुर में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था। बाद में ह्रदयानंद चौधरी ने ये जमीन तोहफे में लालू यादव की बेटी हेमा के नाम पर कर दी। सीबीआई ने जांच में ह्रदयानंद चौधरी लालू यादव का रिश्तेदार नहीं था और जिस समय ये जमीन दी गई, उस समय उसकी कीमत 62 लाख रुपये थी।
ललन-शिवानंद ने की थी नौकरी घोटाले की शिकायत
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने लालू यादव को Symbol Of Corruption In Bihar (बिहार में भ्रष्टाचार के प्रतीक) करार दिया था। उन्होंने कहा था कि ‘तुम मुझे जमीन दो, मैं तुम्हें नौकरी दूंगा’ की तर्ज पर घोटाले को अंजाम दिया गया। ये मामला तब का जब लालू यादव रेलमंत्री थे। उस दौरान उन्होंने रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी देने के एवज में दर्जनों लोगों से जमीनें लिखवा ली थी। इस मामले को लेकर शिवानंद तिवारी जो इस वक्त आरजेडी के वरिष्ठ नेता हैं और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने गए थे और ज्ञापन देकर कहा था कि लालू यादव किस तरह से रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लिखवा रहे हैं। सुशील मोदी ने ‘लालू लीला’ पुस्तक का हवाला देते हुए कहा कि हृदयनंद चौधरी जो पटना के रेलवे कॉम्प्लेक्स में काम करने वाला कर्मचारी रहा और ललन चौधरी विधान परिषद में कर्मचारी रहा इन दोनों ने लालू यादव के लिए काम किया।
जमीन फॉर जॉब की मोडस ऑपरेंडी क्या है?
बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी की मानें तो जमीन सीधे लालू यादव के नाम पर नहीं लिखवाया जाता था बल्कि किसी और के नाम पर रजिस्ट्री होती थी। पांच-छह साल बाद उस जमीन को गिफ्ट करवा लिया जाता था। अगर तुरंत उसी समय लालू यादव अपने नाम पर जमीन लिखवा लेते तो वो ज्यादा मजबूत सबूत बन जाता। पहले उन्होंने ग्रुप डी की नौकरी दे दी, जमीन की रजिस्ट्री किसी तीसरे आदमी के नाम पर करवा दी, फिर अपने नाम पर गिफ्ट करवा लिया। हृदयनंद चौधरी और ललन चौधरी जो विधान परिषद में चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी है। उसने लाखों रुपए की जमीन राबड़ी देवी को दान में दे दिया। इसमें सवाल उठता है रेलवे और विधान परिषद के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के पास करोड़ों की संपत्ति कहां से आ गई, जिन्होंने लालू यादव के परिवार को जमीनें दान दे दी। सुशील मोदी ने बताया कि पहले सब्सीट्यूट के नाते नौकरी दी गई, बाद में नियमों का उल्लंघन कर उसे नियमित कर दिया गया। एक दर्जन से ज्यादा मामलों के बारे में शिवानंद तिवारी और ललन सिंह ने उजागर किया। इस मामले में प्रीमियर इंक्वायरी (PE) 21 सितंबर 2021 को ही दर्ज की जा चुकी है।