EC: उद्धव-शिंदे को बालासाहेब का नाम तो मिला, लेकिन जैसा चाहते थे वैसा नहीं, ठाकरे गुट को मिला मशाल चुनाव चिह्न


एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे
– फोटो : अमर उजाला

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महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट आमने-सामने हैं। नाम और सिंबल की इस लड़ाई में चुनाव आयोग ने हाल में होने वाले उपचुनाव की बाबत उद्धव ठाकरे गुट को नया नाम और पार्टी सिंबल दे दिया है वहीं, शिंदे गुट को केवल नाम ही मिला है। आयोग के फैसले के मुताबिक, उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न के लिए मंजूरी मिली है। इस गुट का नाम अब शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे होगा। वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना नाम मिला है।

उद्धव गुट ने विकल्प के तौर पर दिए थे ये नाम 
शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने पहले ही बताया था कि उनकी पार्टी का नाम शिवसेना है। अगर चुनाव आयोग शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)’, ‘शिवसेना (प्रबोधनकर ठाकरे)’ या ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ सहित शिवसेना से संबंधित कोई भी नाम देता है, तो वह हमें स्वीकार्य होगा।

दोनों गुट चाहते थे एक ही नाम
इस बीच, यह सामने आया है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह के तीन विकल्प और नए नाम मांगे जाने पर दोनों गुटों ने शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) नाम की मांग की थी। दोनों गुटों की समान मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को यह नाम नहीं दिया है। नाम के अलावा चिन्हों के दिए गए विकल्पों में त्रिशूल और उगता सूरज की दोनों गुटों ने मांग की थी।

खारिज किए ये चुनाव निशान
चुनाव आयोग ने विकल्पों के तौर पर दिए गए चुनाव चिह्नों में से गदा और त्रिशूल को धार्मिक संकेत होने के कारण खारिज कर दिया।  वहीं, उगता सूरज चुनाव निशान पहले से ही द्रमुक के पास है। 

उद्धव गुट को इसलिए मिला मशाल चुनाव चिह्न
उद्धव गुट को ‘त्रिशूल’ का चिह्न इसलिए नहीं मिला क्योंकि इसका धार्मिक संकेत है। ‘उगता सूरज’ इसलिए नहीं मिला क्योंकि यह द्रमुक के पास है। ‘मशाल’ चुनाव चिह्न 2004 तक समता पार्टी के पास था। उसके बाद से यह किसी को आवंटित नहीं था, इसलिए यह चिह्न उद्धव गुट को दिया गया है।

शिंदे गुट दे नए विकल्प- चुनाव आयोग
बता दें कि शिंदे गुट ने अपने विकल्पों के तौर पर गदा, उगता सूरज और त्रिशूल में से कोई एक चिह्न मांगा था। अब एकनाथ शिंदे गुट से कहा गया है कि वे 11 अक्टूबर की सुबह 10 बजे तक अपनी पसंद के तीन नए चुनाव चिह्न बताएं। उसी आधार पर आगे फैसला होगा।

उद्धव गुट ने नए नाम पर संतोष जताया
उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा गुट के नाम के रूप में ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ को आवंटित किए जाने पर संतोष जताया है। उद्वव ठाकरे के समर्थक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री भास्कर जाधव ने कहा कि हमें खुशी है कि ‘उद्धव, बालासाहेब और ठाकरे जैसे तीन नामों को नए नाम में बरकरार रखा गया है।

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच तनातनी के बीच चुनाव आयोग ने शनिवार को शिवसेना के धनुष और तीर के निशान को सील कर दिया था। आने उपचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इस चुनाव चिह्न का उपयोग नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे उपचुनावों के लिए अधिसूचित फ्री सिंबल की लिस्ट से अलग-अलग चुनाव चिह्न चुनें और दस तारीख तक बता दें।

विस्तार

महाराष्ट्र में शिवसेना को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट आमने-सामने हैं। नाम और सिंबल की इस लड़ाई में चुनाव आयोग ने हाल में होने वाले उपचुनाव की बाबत उद्धव ठाकरे गुट को नया नाम और पार्टी सिंबल दे दिया है वहीं, शिंदे गुट को केवल नाम ही मिला है। आयोग के फैसले के मुताबिक, उद्धव गुट को मशाल चुनाव चिह्न के लिए मंजूरी मिली है। इस गुट का नाम अब शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे होगा। वहीं दूसरी तरफ शिंदे गुट को बालासाहेबची शिवसेना नाम मिला है।

उद्धव गुट ने विकल्प के तौर पर दिए थे ये नाम 

शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने पहले ही बताया था कि उनकी पार्टी का नाम शिवसेना है। अगर चुनाव आयोग शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे)’, ‘शिवसेना (प्रबोधनकर ठाकरे)’ या ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ सहित शिवसेना से संबंधित कोई भी नाम देता है, तो वह हमें स्वीकार्य होगा।

दोनों गुट चाहते थे एक ही नाम

इस बीच, यह सामने आया है कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह के तीन विकल्प और नए नाम मांगे जाने पर दोनों गुटों ने शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) नाम की मांग की थी। दोनों गुटों की समान मांग को देखते हुए चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को यह नाम नहीं दिया है। नाम के अलावा चिन्हों के दिए गए विकल्पों में त्रिशूल और उगता सूरज की दोनों गुटों ने मांग की थी।

खारिज किए ये चुनाव निशान

चुनाव आयोग ने विकल्पों के तौर पर दिए गए चुनाव चिह्नों में से गदा और त्रिशूल को धार्मिक संकेत होने के कारण खारिज कर दिया।  वहीं, उगता सूरज चुनाव निशान पहले से ही द्रमुक के पास है। 

उद्धव गुट को इसलिए मिला मशाल चुनाव चिह्न

उद्धव गुट को ‘त्रिशूल’ का चिह्न इसलिए नहीं मिला क्योंकि इसका धार्मिक संकेत है। ‘उगता सूरज’ इसलिए नहीं मिला क्योंकि यह द्रमुक के पास है। ‘मशाल’ चुनाव चिह्न 2004 तक समता पार्टी के पास था। उसके बाद से यह किसी को आवंटित नहीं था, इसलिए यह चिह्न उद्धव गुट को दिया गया है।

शिंदे गुट दे नए विकल्प- चुनाव आयोग

बता दें कि शिंदे गुट ने अपने विकल्पों के तौर पर गदा, उगता सूरज और त्रिशूल में से कोई एक चिह्न मांगा था। अब एकनाथ शिंदे गुट से कहा गया है कि वे 11 अक्टूबर की सुबह 10 बजे तक अपनी पसंद के तीन नए चुनाव चिह्न बताएं। उसी आधार पर आगे फैसला होगा।

उद्धव गुट ने नए नाम पर संतोष जताया

उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा गुट के नाम के रूप में ‘शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ को आवंटित किए जाने पर संतोष जताया है। उद्वव ठाकरे के समर्थक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री भास्कर जाधव ने कहा कि हमें खुशी है कि ‘उद्धव, बालासाहेब और ठाकरे जैसे तीन नामों को नए नाम में बरकरार रखा गया है।

गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुटों के बीच तनातनी के बीच चुनाव आयोग ने शनिवार को शिवसेना के धनुष और तीर के निशान को सील कर दिया था। आने उपचुनाव में दोनों में से कोई भी गुट इस चुनाव चिह्न का उपयोग नहीं कर पाएगा। चुनाव आयोग ने दोनों गुटों से कहा था कि वे उपचुनावों के लिए अधिसूचित फ्री सिंबल की लिस्ट से अलग-अलग चुनाव चिह्न चुनें और दस तारीख तक बता दें।





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