स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मोबाइल फोन्स को अगर हम, हर दिन कुछ घंटे के लिए ही खुद से अलग करने की आदत बना लें तो भी हमारी सेहत को लाभ हो सकता है। विशेषकर मनोचिकित्सकों का कहना है कि सभी लोगों को शाम के 6 बजे के बाद मोबाइल या किसी भी प्रकार के स्क्रीन के अधिक संपर्क में रहने से बचना चाहिए। ऐसे में यदि आप शाम 6 बजे के बाद भी खुद की मोबाइल पर निर्भरता को कम कर लेते हैं, तो भी इससे सेहत को कई प्रकार से लाभ मिल सकता है।
आइए जानते हैं कि मोबाइल का अधिक इस्तेमाल किस प्रकार से हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है?
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग या यूं कहें कि बिना इसके न रह पाने की आदत लगभग हर उम्र के लोगों में देखी जा रही है। इसके कारण कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं। स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल आंखों और हृदय की सेहत को प्रभावित करने से लेकर नींद विकारों का भी कारण बनता जा रहा है, जिसको लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। इसके दुष्प्रभाव दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल का सबसे बड़ा खतरा इसके कारण लाइफस्टाइल में आया बदलाव है। पहले की तुलना में स्मार्टफोन्स के कारण लोगों में एक ही जगह पर बैठे या लेटे रहने की आदत बढ़ती जा रही है, इस तरह की सेंडेंटरी लाइफ को संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक माना जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, यदि मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल को कम करके यही समय शारीरिक गतिविधियों में लगा दिया जाए तो हृदय रोग, डायबिटीज जैसी कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। हृदय रोग, डायबिटीज की गंभीर जटिलताएं जानलेवा हो सकती हैं।
सेल फोन की लत को नींद संबंधी विकारों और थकान में वृद्धि जैसी समस्याओं के प्रमुख कारण के तौर पर जाना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि सोने से पहले सेल फोन के इस्तेमाल करते रहने की आदत अनिद्रा के खतरे को बढ़ा देती है। फोन से निकलने वाली नीली रोशनी का आंखों और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर होता है जिसके कारण लोगों में सोने-जागने के समय में अनियमितता की दिक्कत बढ़ती जा रही है। नींद पूरी न हो पाना कई गंभीर बीमारियों जैसे हृदय रोग, डायबिटीज और अवसाद के लक्षणों को बढ़ा देती है।
सेल फोन की लत मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती समस्याओं का कारण हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि लोगों में इसके बढ़ते उपयोग के कारण कॉग्नेटिव इमोशन रेगुलेशन, निर्णय लेने की क्षमता, चिंता-तनाव और कई तरह की अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं का जोखिम बढ़ता जा रहा है। कुछ शोध इस तरफ भी संकेत करते हैं कि जिन लोगों में सेल फोन की लत है उनमें अन्य लोगों की तुलना में डिप्रेशन होने का खतरा भी अधिक होता है।
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