पिछले कुछ वर्षों में तेजी से मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं। वैश्विक स्तर पर बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने और मानसिक विकार के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इसे प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में पता होना चाहिए।
एक शोध के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कुछ सामान्य कारक ‘अवसाद, चिंता और मूड स्विंग्स’ हैं। इस तरह की स्थिति भावनात्मक तनाव, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के कारण हो सकती है। जब लोग रिश्ते में असफलता का सामना करते हैं, ब्रेकअप या तलाक की स्थिति में पहुंचते हैं तो चिंता, अवसाद और आत्महत्या समेत कई तरह की मानसिक विकारों का खतरा बढ़ सकता है। मानसिक विकार की स्थिति में लोग नकारात्मकता की ओर चले जाते हैं। प्यार में धोखा, तलाक या टॉक्सिक रिलेशनशिप से परेशान लोगों के सामाजिक जीवन पर बुरा असर पड़ने लगता है। साथ ही शारीरिक तौर पर भी कई बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं। हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी मानसिक विकारों के कारण बढ़ जाता है।
लोगों को पता नहीं होता कि उनका टूटा हुआ रिश्ता या टॉक्सिक रिलेशनशिप उन्हें मनोरोग की ओर ले जा रहा है। वह इस समस्या से निकलने का सही तरीका नहीं समझ पाते।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जानिए रिश्ते में आने वाली दिक्कतों से मानसिक सेहत और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर और इससे बाहर निकलने के सही तरीकों के बारे में।
रिश्तों में तनाव का मानसिक स्वास्थ्य पर असर कितना गंभीर?
सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अभ्यर्थी ने बताया कि जब उनका ब्रेकअप हुआ तो वह कई महीनों तक काफी तनाव में रहे। उनका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। ऐसे में वह करियर और अपने लक्ष्य से कुछ समय के लिए पूरी तरह से भटक गए। इसके अलावा जो लोग लंबे समय से उनके साथ थे, ब्रेकअप के बाद उन्होंने उन दोस्तों से दूरी बना ली। वह अपना अधिकतर वक्त कमरे में बंद रहकर बिताते थे। लोगों से मिलना जुलना बहुत कम हो गया था।
स्पष्ट है कि मानसिक स्थिति का असर सामाजिक जीवन में दिखने लगता है। अपने लक्ष्य और दोस्तों से दूरी अकेलेपन की ओर ले जाता है। यही अकेलापन अनिद्रा और तनाव बढ़ाता है, जिसके कारण अवसाद का खतरा हो सकता है।
खुद को व्यस्त रखें
मनोचिकित्सक डॉ विधि बताती हैं कि रिलेशनशिप टूटता है तो व्यक्ति की पूरी दिनचर्या पर असर पड़ता है। चूंकि जब आप रिलेशनशिप में होते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने पार्टनर को दे रहे होते हैं। लोगों को समझ नहीं आता कि जो वक्त वह अपने पार्टनर के साथ बिता रहे होते हैं, उस वक्त पर बिना पार्टनर के अकेले में क्या करें। पार्टनर की आदत लग गई होती है। ऐसे में इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए जितना ज्यादा हो सके, खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करनी चाहिए।
असफलता को सफलता में बदलें
डॉ विधि कहती हैं, रिश्ते का टूटना एक तरह का सेंस ऑफ फेलियर होता है। लोग इसे असफलता मानते हैं, इसलिए आपको ज्यादा दुख महसूस होता है। असफलता की भावना को कम करने के लिए कुछ ऐसा करें, जो आपको सेंस ऑफ अकांप्लिशमेंट महसूस कराए, यानी कुछ अच्छा हासिल करने की कोशिश करें। अपनी प्रतिभा और रुचि को पहचानें। कॉलेज या वर्क प्लेस पर कुछ अच्छा करने की कोशिश करें। कई लोग ब्रेकअप के बाद फिजिकल फिटनेस पर ध्यान देना शुरू कर देते हैं। जब उनकी बाॅडी एक अच्छे शेप में आ जाती हैं, तो उनमें सेंस ऑफ अकांप्लिशमेंट आ जाता है। रिश्ते की असफलता की वजह से होने वाली तकलीफ को कुछ अच्छा करके कम करने की कोशिश कर सकते हैं।
ब्रेकअप के बाद अकेलेपन से बचें
डाॅ विधि के मुताबिक, अगर आपको लगने लगता है कि किसी से बात करने का मन नहीं है। सामाजिक तौर पर लोगों से आपकी दूरी बढ़ रही है तो किसी काउंसलर से पास जाएं या किसी मनोचिकित्सक से मिलें। वह आपको बताएंगे कि कैसे आपको अपनी एक्टिविटी को वापस से ठीक करके अपने आपको सक्रिय बनाना है, ताकि आप अपने समय का सही से उपयोग कर पाएं और अनिद्रा या अवसाद की स्थिति से बाहर निकाल पाएं।
खुद को चोट न पहुचाएं
अक्सर रिलेशनशिप ब्रेकडाउन के कारण लोग खुद को चोट पहुंचाने लगते हैं। खाना-पीना छोड़ देते हैं, आत्महत्या करने के बारे में सोचते हैं। अल्कोहल व नशे की ओर चले जाते हैं। 22 वर्षीय एक लड़की ने ब्रेकअप के बाद पार्लर जाकर अपने लंबे बालों को पूरी तरह से कटवाकर मुंडन करवा लिया। लड़की से इसकी वजह पूछी गई, तो बताया कि उसके एक्स पार्टनर को लंबे बाल पसंद थे।
मनोचिकित्सक कहते हैं कि रिश्ता कितने वक्त तक चलेगा, इसका पहले से पता नहीं होता। लेकिन अगर रिश्ता टूट जाता है तो जीवन वहीं पर खत्म नहीं होता। इस बात को लोगों को समझना होगा। सबसे जरूरी है नकारात्मक क्रियाओं से बचना होगा। खुद को चोट पहुंचाना, एल्कोहल या ऐसी क्रिया जिससे उन्हें दुख पहुंचता है, उसे करने से बचना होगा। ऐसी स्थिति में बदला लेने की भावना से कोई कदम न उठाएं।
सबसे पहले जरूरी है कि दिमाग में चल रही नकारात्मक बातों या क्रिया को नजरअंदाज करके सकारात्मक बातें सोचें। यह सोचें कि मुझे कैसे बेहतर बनना है, या ऐसे अच्छे काम करें, जिससे आपके एक्स पार्टनर को महसूस हो कि आपको छोड़कर उन्होंने गलती की है।
रिश्ता खत्म होने के बाद लोग अपने पार्टनर को असफल रिश्ते के लिए जिम्मेदार मानते हैं। आपको ये जानना चाहिए कि कहीं आप इस रिश्ते में टॉक्सिक तो नहीं थे। हो सकता है कि आपकी कमियों के कारण ही आपका रिश्ता न चल सका हो। इस बात को समझने के बाद अपनी कमियों पर काम करने की कोशिश करें।
मानसिक विकार का हृदय स्वास्थ्य पर असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मानसिक विकारों के कारण कई प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। जब व्यक्ति बहुत अधिक तनाव में होता है तो उच्च रक्तचाप की समस्या और हृदय रोगों का खतरा बढ़ने की संभावना हो जाती है। रिलेशनशिप मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है और मानसिक स्थिति में गड़बड़ी ह्रदय पर असर डालती है। डॉ विधि कहती हैं कि दिल टूटने या भावनात्मक कमजोरी के कारण लंबे समय तक तनाव में रहने से काॅटिशाॅल निकलता है। यह काॅटिशाॅल हमारे ह्रदय की आर्टीज और वेंस में जाकर कोलेस्ट्रॉल के रूप में जमा हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल के वेंस में जमा होने के कारण हृदय रोग संबंधी समस्या होती है। इसलिए भी हमें मानसिक सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। सिर्फ हृदय ही नहीं, मानसिक विकार के कारण हार्मोनल दिक्कतें भी हो सकती हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने से लोगों को हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है।
एक कहावत है, ‘अच्छा मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर के अंदर ही रह सकता है।’ बहुत जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य को बनाएं रखने के लिए फिटनेस, हृदय और पूरे शरीर की सेहत का ध्यान रखा जाए। इसके लिए सकारात्मक सोच, शारीरिक सक्रियता और खुद को व्यस्त रखें।
——————
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
विस्तार
Medically reviewed by-
डॉ विधि.एम.पिलानिया
मनोचिकित्सक (पीएचडी एम्स दिल्ली)
फैकल्टी बीएसएफ
पिछले कुछ वर्षों में तेजी से मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं बढ़ रही हैं। वैश्विक स्तर पर बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में लोगों को जागरूक करने और मानसिक विकार के बढ़ते खतरे को कम करने के लिए हर साल 10 अक्तूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए इसे प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में पता होना चाहिए।
एक शोध के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कुछ सामान्य कारक ‘अवसाद, चिंता और मूड स्विंग्स’ हैं। इस तरह की स्थिति भावनात्मक तनाव, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के कारण हो सकती है। जब लोग रिश्ते में असफलता का सामना करते हैं, ब्रेकअप या तलाक की स्थिति में पहुंचते हैं तो चिंता, अवसाद और आत्महत्या समेत कई तरह की मानसिक विकारों का खतरा बढ़ सकता है। मानसिक विकार की स्थिति में लोग नकारात्मकता की ओर चले जाते हैं। प्यार में धोखा, तलाक या टॉक्सिक रिलेशनशिप से परेशान लोगों के सामाजिक जीवन पर बुरा असर पड़ने लगता है। साथ ही शारीरिक तौर पर भी कई बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं। हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी मानसिक विकारों के कारण बढ़ जाता है।
लोगों को पता नहीं होता कि उनका टूटा हुआ रिश्ता या टॉक्सिक रिलेशनशिप उन्हें मनोरोग की ओर ले जा रहा है। वह इस समस्या से निकलने का सही तरीका नहीं समझ पाते।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर जानिए रिश्ते में आने वाली दिक्कतों से मानसिक सेहत और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर और इससे बाहर निकलने के सही तरीकों के बारे में।
रिश्तों में तनाव का मानसिक स्वास्थ्य पर असर कितना गंभीर?
सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अभ्यर्थी ने बताया कि जब उनका ब्रेकअप हुआ तो वह कई महीनों तक काफी तनाव में रहे। उनका पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता था। ऐसे में वह करियर और अपने लक्ष्य से कुछ समय के लिए पूरी तरह से भटक गए। इसके अलावा जो लोग लंबे समय से उनके साथ थे, ब्रेकअप के बाद उन्होंने उन दोस्तों से दूरी बना ली। वह अपना अधिकतर वक्त कमरे में बंद रहकर बिताते थे। लोगों से मिलना जुलना बहुत कम हो गया था।
स्पष्ट है कि मानसिक स्थिति का असर सामाजिक जीवन में दिखने लगता है। अपने लक्ष्य और दोस्तों से दूरी अकेलेपन की ओर ले जाता है। यही अकेलापन अनिद्रा और तनाव बढ़ाता है, जिसके कारण अवसाद का खतरा हो सकता है।
खुद को व्यस्त रखें
मनोचिकित्सक डॉ विधि बताती हैं कि रिलेशनशिप टूटता है तो व्यक्ति की पूरी दिनचर्या पर असर पड़ता है। चूंकि जब आप रिलेशनशिप में होते हैं, तो ज्यादा से ज्यादा वक्त अपने पार्टनर को दे रहे होते हैं। लोगों को समझ नहीं आता कि जो वक्त वह अपने पार्टनर के साथ बिता रहे होते हैं, उस वक्त पर बिना पार्टनर के अकेले में क्या करें। पार्टनर की आदत लग गई होती है। ऐसे में इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए जितना ज्यादा हो सके, खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करनी चाहिए।